रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल एवं इसके निष्कर्ष, दोष इस आर्टिकल में बताया गया हैं।
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रदरफोर्ड का परिचय
रदरफोर्ड का पूरा नाम अर्नेस्ट रदरफोर्ड है। इनका जन्म 30 अगस्त 1871 में न्यूजीलैंड में हुआ था। परमाणु के नाभिक की खोज के लिए बहुत प्रसिद्ध हुए। उनकी एक पुस्तक रेडियोएक्टिविटी 1914 में प्रकाशित हुई । जिससे उन्हें विश्व ख्याति मिली। रदरफोर्ड को 1908 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल
इलेक्ट्रॉन परमाणु के भीतर किस तरह से मौजूद हैं यह जानने के लिए सन 1911 में अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने एक प्रयोग किया। इस प्रयोग के अंतर्गत रेडियो सक्रिय पदार्थ रेडियम द्वारा तेज गति से निकले अल्फा कणों का सोने के पतर (Foil) पर प्रहार कराया गया।

अल्फा कण का आवेश +2 और द्रव्यमान 4 इकाई होता हैं। यह वस्तुतः He2+ आयन हैं। चूंकि अल्फा कणों का द्रव्यमान 4 amu होता हैं। अतः तेज गति से चल रहे इन अल्फा कणों में पर्याप्त ऊर्जा होती हैं। इस प्रयोग से रदरफोर्ड को निम्नलिखित बातों का पता चला जो नीचे इस प्रकार से है –
- अधिकांश अल्फा कण अपने मार्ग से बिना विचलित हुए स्वर्ण पतर को पार करके सीधे निकल जाते हैं।
- कुछ अल्फा कण अपने मार्ग से थोड़ा विचलित हो जाते हैं।
- बहुत ही कम अल्फा कण (1,00,000 में से एक कण) टकराकर अपने मार्ग पर पुनः वापस आ जाते हैं।
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रदरफोर्ड के प्रयोग से प्राप्त निष्कर्ष
- परमाणु में अधिकतर जगह खाली हैं जिसके कारण अधिकतर अल्फा कण उसमें से सीधे निकल जाते हैंं।
- धन आवेशित अल्फा कण का सभी दिशाओं में विचलित होना यह दर्शाता है कि परमाणु के बीच स्थान पर कोई सामान आवेश उपस्थित हैं।
- चूंकि स्वर्ण-पतर से टकराकर वापस लौटने वाले अल्फा कणों की संख्या बहुत कम होती हैं। अतः परमाणु के अंदर उपस्थित धन आवेशित वस्तु का आयतन अत्यंत ही कम होता हैं।
- परमाणु का केंद्र धन आवेशित होता है जिसे नाभिक कहा जाता है।

रदरफोर्ड परमाणु मॉडल का दोष
इस मॉडल की निम्नलिखित दोष हैं –
रदरफोर्ड के अनुसार, इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाया करते हैं, युक्तिसंगत नहीं लगाता क्योंकि इस प्रकार का परमाणु कभी स्थायी नहीं हो सकता।
विद्युत चुंबकीय सिद्धांत के अनुसार चक्कर लगाने वाले ऋण-आवेशित इलेक्ट्रॉन से लगातार ऊर्जा का ह्रास होता रहेगा और नाभिक के आकर्षण बल के कारण यह नाभिक में गिर जाएगा और परमाणु का विनाश हो जाएगा। लेकिन व्यवहार में ऐसा नहीं होता है क्योंकि परमाणु स्थायी हैं।
रदरफोर्ड मॉडल की कक्षाओं में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या निश्चित नहीं की गई थीं।