मृदा प्रदूषण

मिट्टी को मां का दर्जा दिया गया है लेकिन आज इसे कई तरीके से प्रदूषित किया जा रहा हैं। इस पोस्ट में आप मृदा प्रदूषण का अर्थ, निबंध, चित्र, कारण तथा मृदा प्रदूषण के उपाय को समझेंगे।

हेलो फ्रेंड्स मेरा नाम है चंदन एक और नए आर्टिकल में आपका स्वागत हैं।

मृदा प्रदूषण की परिभाषा

मिट्टी से उपयोगी घटकों का हटाना और दूसरे हानिकारक पदार्थों का मिट्टी में मिलना, जिससे मिट्टी की उर्वरता नष्ट हो जाए उसे “मृदा प्रदूषण” (Soil Pollution) कहते हैं।

“मृदा प्रदूषण मिट्टी में होने वाले प्रदूषण को कहते हैं।”

मृदा प्रदूषण पर निबंध

मिट्टी प्रदूषित निम्नलिखित कारणों से होती हैं। आप इसे निबंध में भी लिख सकते हैं जो कि नीचे के पंक्ति में इस प्रकार से दिए गए हैं –

पृथ्वी पर मिट्टी एक अहम संसाधन के रूप में पाया जाता हैं। यह मनुष्य के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से सहयोग करता हैं। मिट्टी से मनुष्य को काफी अधिक लाभ होता हैं लेकिन फिर भी मनुष्य अपने छोटे-मोटे स्वार्थ के लिए इसे प्रदूषित कर रहा हैं।

औद्योगिकीकरण, नगरीकरण एवं तेज जनसंख्या वृद्धि के कारण कूड़े कचरे की मात्रा में लगातार वृद्धि हो रही हैं। इनमें एक ओर मानव द्वारा उपयोग में लाए गए पदार्थ जैसे कि कपड़ा, कागज, लकड़ी, धातु के टुकड़े, प्लास्टिक, सब्जियों एवं फलों के छिलके आदि शामिल है तो दूसरी ओर उद्योगों से निकले तरल पदार्थ एवं ठोस कचरे जैसे धातु के छोटे-छोटे टुकड़े, रासायनिक पदार्थ, अम्ल तथा क्षारीय पदार्थ, अनेक विषैले ज्वलनशील पदार्थ आदि शामिल हैं।

इसके अलावा खदानों का मलवा एवं कृषि से प्राप्त कचरे आदि खुले में फेंक देने से पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ भूमि प्रदूषण भी होता हैं।

मनुष्य पर दुष्प्रभाव

कूड़े-कचरे भूमि प्रदूषण के अलावा जल एवं हवा प्रदूषण में भी वृद्धि करते हैं।

कूड़े-कचरे, जिनमें मल-जल एवं डिटर्जेंट मिले होते हैं। जब नालियों से बहकर जल स्रोतों में पहुंच जाते हैं तब जल प्रदूषण होता हैं।

कूड़ा-करकट के सड़ने-गलने से अनेक प्रकार की हानिकारक गैस एवं दुर्गंध निकलती हैं जिससे क्षेत्रीय वातावरण दूषित हो जाता हैं।

मृदा प्रदूषण के चित्र

मृदा प्रदूषण के कारण

इसके कारण निम्नलिखित हैं जो इस प्रकार से दिए गए हैं –

मिट्टी को प्रदूषित करने का सबसे बड़ा कारण हम मनुष्य खुद हैं।

अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम तरह-तरह के मिट्टी के साथ एक्सपेरिमेंट करते हैं।

आधुनिक कृषि में उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग हो रहा है जिससे मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवों और केंचुए मर जाते हैं जो मिट्टी के पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण में सहायक होते हैं।

उर्वरक एवं कीटनाशकों के लंबे समय तक उपयोग करने से उपजाऊ मिट्टी बहुत जल्द ही बंजर भूमि में परिवर्तित हो जाती हैं।

मृदा प्रदूषण के उपाय

इसके उपाय निम्नलिखित हैं –

  • कचरों का पुनर्चक्रण
  • कूड़े-कचरे को नष्ट करना
  • कूड़े-कचरे से कंपोस्ट बनाना

कचरों का पुनर्चक्रण

कचरे में स्थित रद्दी कागज से कागज, लोहे की कतरनों से स्टील, एलुमिनियम के छोटे-छोटे टुकड़ों से पुन: एलुमिनियम, व्यर्थ या खराब प्लास्टिक से प्लास्टिक बनाने आदि की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।

कूड़े-कचरे को नष्ट करना

कूड़े-कचरे के कुप्रभाव से पर्यावरण एवं मनुष्य को बचाया जा सकता है। इन्हें नष्ट करने के लिए हम एक सहज विधि भस्मीकरण का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिससे इसकी मात्रा करीब 80% कम की जा सकती हैं। इस विधि में कूड़े- कचरे को भट्टी में डालकर जलाया जाता है लेकिन इस क्रिया में वायु प्रदूषण ना हो इसका भी ध्यान अवश्य रखना चाहिए।

कूड़े-कचरे से कंपोस्ट बनाना

नगरीय कूड़े-कचरे को भूमि में दबाकर सड़ा गलाकर उत्तम उर्वरक (कंपोस्ट) बनाया जा सकता हैं।

By Chandan Kumar

Hello My Name Is Chandan Kumar Pal. I am a Writer and Founder of dtution.com

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