मिट्टी हमारे लिए अति आवश्यक हैं। जिस प्रकार से जल के बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है वैसे ही मिट्टी का भी महत्व, कार्य हमारे और आपके जीवन में भी हैं। आज के इस आर्टिकल में मैं आपको मिट्टी क्या हैं उसकी परिभाषा, अवयव, मिट्टी कैसे बनती हैं, प्रकार तथा इसके कार्य के बारे में बताने वाला हूं।
हेलो फ्रेंड्स मेरा नाम है चंदन एक और नए पोस्ट में आपका स्वागत हैं।
मिट्टी क्या हैं परिभाषा ?
परिभाषा – पृथ्वी तल के ऊपरी सतह जिसमें पेड़-पौधे उगाए जाते हैं मिट्टी (Soil) कहलाती हैं। यह एक प्राकृतिक संसाधन है जो अनेक अवयव का एक जटिल मिश्रण होता हैं। इसका अधिकांश भाग पत्थर के सूक्ष्म कणों का बना होता हैं।
मिट्टी के अवयव
इसके अवयव निम्नलिखित होते हैं नीचे कुछ इस प्रकार से दिए गए हैं –
- खनिज
- कार्बनिक पदार्थ
- अकार्बनिक पदार्थ
- वायु
खनिज – मिट्टी में मौजूद खनिज पदार्थ पौष्टिक तत्व कहलाते हैं जो कि पौधों की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, पोटैशियम, मैग्निशियम तथा तांबा, लोहा आदि प्रमुख हैं।
कार्बनिक पदार्थ – मृत (मरे हुए) जीवों जैसे कि पेड़-पौधे, जीव-जंतु और जीवाणु के सड़ने से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ आ जाते हैं जिन्हें Humus कहते हैं। यही ह्यूमस मिट्टी को फास्फोरस एवं नाइट्रोजन प्रदान करते हैं।
अकार्बनिक पदार्थ – जिन पत्थरों से मिट्टी का निर्माण होता है उनमें मौजूद अकार्बनिक पदार्थ भी मिट्टी में मिश्रित हो जाते हैं।
वायु – मिट्टी के कणों के बीच खाली स्थान को रंध्र (Pores) कहा जाता है जिनमें जल के साथ-साथ हवा भी भरी रहती हैं। इसी हवा में पौधों की श्वसन क्रिया चलती रहती हैं।
मिट्टी कैसे बनती हैं?
पत्थर के अपक्षयन (weathering of rocks) से मिट्टी का निर्माण होता है और पत्थर के अपक्षयन के निम्नलिखित कारण होते हैं जो नीचे इस प्रकार से दिए गए हैं –
- जल का प्रभाव
- सूर्य के ताप का प्रभाव
जल का प्रभाव
जल दो प्रकार से मिट्टी का निर्माण करती हैं –
- सूर्य के ताप से बने पत्थरों की दरारों में जल समा जाता हैं और ठंडा होने के पश्चात यह जल पत्थर की दरारों में जम जाता हैं। जल के जमने से आयतन में वृद्धि होती है जिसके परिणामस्वरुप दरार और अधिक चौड़ा हो जाता है और भूस्खलन होता हैं।
2. तेज गति से बहता हुआ जल अपने साथ बड़े और छोटे पत्थरों को बहाकर ले जाता हैं। ये पत्थर दूसरे पत्थरों के साथ टकराकर छोटे-छोटे कणों में टूट जाते हैं। इन कणों को जल अपने साथ बहा ले जाता है और दूसरे स्थान पर छोड़ देता हैं।
सूर्य के ताप का प्रभाव
दिल ने सूर्य पत्थरों को गर्म करता है जिससे वह प्रसारित हो जाते हैं और रात के समय पत्थर ठंडा हो जाने से संकुचित हो जाते हैं। पत्थर का प्रत्येक भाग असमान रूप से प्रसारित तथा संकुचित होता है जिससे पत्थर में दरारे आ जाती है और यह बड़े-बड़े पत्थर छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर विभाजित हो जाते हैं।
मिट्टी के प्रकार
मिट्टी के कई प्रकार होते हैं जिनका निर्णय उन में पाए जाने वाले कणों के औसत आकार द्वारा निर्धारित होता हैं। रेत में पाए जाने वाले कणों का आकार बड़ा होता है और कीचड़ में पाए जाने वाले कण सबसे छोटे होते हैं। गाद में पाए जाने वाले कणों का आकार रेत एवं कीचड़ के बीच का होता हैं।
मिट्टी के कार्य
- जिस प्रकार से एक विद्यार्थी का कार्य मन लगाकर पढ़ना होता है ठीक वैसे ही मिट्टी का भी अपना कार्य होता हैं।
- मिट्टी पौधों को यांत्रिक संरक्षण प्रदान करती हैं।
- पौधों की जड़े मिट्टी से आक्सीजन प्राप्त करती हैं। इसके लिए मिट्टी को समय-समय पर कोड़कर ढीली कर दी जाती हैं।
- पौधे अपनी वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व मिट्टी से ही प्राप्त करते हैं।
अक्सर कंफ्यूज करने वाले प्रश्न –
यह एक प्राकृतिक संसाधन हैं।
अपरदन
मिट्टी