हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार की वस्तुएं देखते हैं जिसे हम अनुभव भी करते हैं। जैसे अपने सामने रखी पुस्तक, कलम, मोबाइल आदि वस्तु को देख सकते हैं । यह वस्तुएं (पुस्तक, कलम तथा मोबाइल) कुछ ना कुछ स्थान घेरते हैं। वस्तु के द्वारा अधिकृत स्थान (जगह) इसका आयतन कहलाता हैं तथा पुस्तक, मोबाइल आदि को उठाने में हमें कुछ बल भी लगाना पड़ता है इससे हमें जानकारी प्राप्त होता है कि इसमें भार भी है। अतः वस्तु का अपना कुछ द्रव्यमान भी होता हैं।
आज इस नए आर्टिकल में पदार्थ क्या है परिभाषा, पदार्थ की प्रकृति, उदाहरण तथा पदार्थ की कितनी अवस्थाएं होती है इत्यादि समझेंगे।
पदार्थ क्या है उदाहरण सहित समझाइए
कोई भी वस्तु जो कुछ स्थान घेरे, जिसमें द्रव्यमान एवं आयतन हो और साथ ही अवरोध भी उत्पन्न करें तो उसे “पदार्थ” (Matter) कहा जाता है।
उदाहरण के लिए किताब, कागज , जल, तेल, कपड़ा लकड़ी, बर्फ इत्यादि।
अवरोध (Resistance) – किसी वस्तु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने अथवा ले जाने के लिए कुछ बल का प्रयोग करना पड़ता है। इससे ज्ञात होता है कि पदार्थ अवरोध भी उत्पन्न करता है। जैसे जमीन से पत्थर का एक टुकड़ा उठाने के लिए हमें थोड़ा बल का प्रयोग करना पड़ता है।
पदार्थ की प्रकृति
इसकी निम्नलिखित प्रकृति होते हैं –
- पदार्थ कणों का बना होता हैं।
- इसके कण अत्यंत छोटे होते हैं।
- पदार्थ के कण अनवरत गतिशील होते हैं।
- इसके कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
- पदार्थ के कणों के बीच खाली (रिक्त) स्थान होता है।
पदार्थ कणों का बना होता हैं।
जैसा कि आपने ऊपर के परिभाषा में पढ़ा कि जो वस्तु कुछ स्थान घेरे, जिसमें आयतन, द्रव्यमान तथा अवरोध शामिल हो पदार्थ कहलाता है। पदार्थ अकेला नहीं होता है यह कई कोणों से मिलकर बना होता है ।
जैसे एक पत्थर को यदि तोड़कर देखा जाए तो वह चूर्ण में बदल जाता है जो छोटा-छोटा चूर्ण होता है वह ही कण होता है इसी से ही पत्थर का निर्माण होता है।
इसके कण अत्यंत छोटे होते हैं।
पदार्थ के जो कण होते हैं वह अत्यंत सूक्ष्म होते हैं कई बार तो इसे हम अपने नग्न आंखों से नहीं देख पाते हैं।
पदार्थ के कण अनवरत गतिशील होते हैं।
इसके कण एक जगह पर स्थिर नहीं रहते हैं बल्कि हमेशा गतिशील रहते हैं। अगरबत्ती की एक सलाई (Stick) कमरे के एक कोने में रख दें तो कुछ दूरी से इस अगरबत्ती की गंध को हम महसूस नहीं कर सकते हैं इसके पास जाने पर अवश्य ही सुगंध महसूस होगी।
अब,आप एक माचिस की सहायता से अगरबत्ती को जलाए इसकी सुगंध को आप कुछ दूरी से ही महसूस कर सकते हैं इसका कारण यह है कि अगरबत्ती में उपस्थित इत्र (Perfume) के कारण वायु के कणों के साथ मिश्रित होकर पूरे कमरे कमरे में फैल जाते हैं यदि इत्र के कण प्रगतिशील नहीं होते तो अगरबत्ती की सुगंध दूर बैठे आप तक नहीं पहुंच पाते।
पदार्थ को गर्म करने पर उसके कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है जिससे कणों के वेग बढ़ जाते हैं। अतः ताप बढ़ने पर कणों के वेग में वृद्धि होती है।
इसके कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
पदार्थ के कणों के बीच एक प्रकार का बल पाया जाता है जिसे अंतरा-अणुक आकर्षण बल (intermolecular force of attraction) कहा जाता है इसी बल के कारण पदार्थ के कण एक-दूसरे से बंधे रहते हैं।
पदार्थ के कणों के बीच खाली (रिक्त) स्थान होता है।
पदार्थ के कणों के बीच खाली स्थान होता है जिसे अंतरा- अणुक स्थान (intermolecular space) कहा जाता हैं।
उदाहरण के लिए जब चीनी को जल में मिलाया जाता है तो चीनी के कण लुप्त हो जाते हैं। वस्तुतः चीनी के कण जल के कणों के बीच खाली स्थानों में समावेशित हो जाते हैं।
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पदार्थ की कितनी अवस्थाएं होती हैं?
जैसा कि हम जानते हैं हमारे चारों ओर विभिन्न रूपों में पदार्थ पाए जाते हैं। मुख्य रूप से पदार्थ की तीन (3) अवस्था होती है – ठोस, द्रव और गैस ।
मानव शरीर में यह तीनों अवस्था में पाई जाती हैं। हमारी हड्डियां और दांत पदार्थ के ठोस रूप में होते हैं। हमारे शरीर में मौजूद रक्त अर्थात खून पदार्थ का द्रव्य रूप होता है और जो हवा हम सांस के द्वारा अंदर खींचते हैं वह पदार्थ का गैसीय रूप होता है।
अक्सर कंफ्यूज करने वाले प्रश्न –
उत्तर – पदार्थ (Matter) .
उत्तर – पदार्थ के आयतन का SI मात्रक M3 हैं।
उत्तर – सामान्यता पदार्थ की तीन अवस्थाएं होती हैं – Liquid
Solid and Gas .
उत्तर – कोई भी चीज जो स्थान घेरे, जिसमें द्रव्यमान हो और जो अवरोध उत्पन्न करें पदार्थ कहलाती है।
इसके मुख्यत: तीन प्रकार या अवस्था होती है – ठोस, द्रव और गैस।