इससे पहले आपने पदार्थ की तीन अवस्थाओं ठोस, द्रव, और गैस के बारे में पढ़ा । आज के इस आर्टिकल में आप पदार्थ की चौथी अवस्था अर्थात प्लाज्मा अवस्था के बारे में पढ़ेगे । इसके साथ-साथ ही पदार्थ की पांचवी अवस्था को भी जानेंगे।
पदार्थ की चौथी अवस्था क्या हैं?
आज के समय में (पोस्ट लिखते समय) वैज्ञानिकों ने पदार्थ की एक नई अवस्था की खोज की है जिसे ‘प्लाज्मा अवस्था’ के नाम से जानते हैं।
प्लाज्मा अवस्था अब तक का ज्ञात पदार्थों की तीनों अवस्थाओं में किसी के साथ भी मेल नहीं रखता है इसलिए इसे पदार्थ की “चौथी अवस्था” कहा जाता है।
इस अवस्था में पदार्थ अत्यधिक आयनीकृत (ionized) गैस के रूप में रहता हैं। इसमें पदार्थ के कण अति ऊर्जावान और अति उतेजित अवस्था में रहते हैं। पदार्थ की प्लाज्मा अवस्था का उपयोग प्रतिदीप्त ट्यूब और नियान संकेत वाले बल्ब के निर्माण में किया जाता हैं।
प्रतिदीप्त ट्यूब में हीलियम या कुछ अन्य गैस भरी रहती हैं। गैस से होकर विद्युत धारा प्रवाहित होने पर विशेष रंग युक्त उदीप्त (glowing) प्लाज्मा उत्पन्न होते हैं।यह विशेष रंग गैस की प्रकृति पर निर्भर करता है।
क्या आपको पता हैं उच्च ताप के कारण सूर्य और तारों में भी प्लाज्मा की उत्पत्ति होती है जिसके कारण यह चमकीले दिखाई देते हैं।
पदार्थ की पंचम अवस्था क्या हैं?
बोस आइंस्टाइन कंडेंसेट को पदार्थ की पंचम अवस्था कहा जाता है। इसे 1920 में भारत के सुप्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस ने अपने गणना के आधार पर प्रस्तुत किया।
प्रसिद्ध विश्वविख्यात वैज्ञानिक आइंस्टाइन ने भी इस पदार्थ की अवस्था की संभावना का पूर्वानुमान लगाया। बाद में अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों की एक टीम ने पदार्थ की इस अवस्था को प्राप्त करने में सफलता पाई । इन लोगों ने अति निम्न घनत्व (वायु के घनत्व का 10-5 भाग) वाली गैस को अतिशीतलित करके (लगभग 2×10-7K) इस अवस्था को प्राप्त किया । इस अवस्था को बोस आइंस्टाइन कंडेंसेट (BEC) कहते हैं।